तुलुववंश – कृष्णदेवराय तुलुव वंश का संस्थापक वीर नरसिंह था । कृष्णदेवराय इस वंश का एक महान शासक था । कृष्णदेवराय ने आन्ध्र पितामह, आंध भोज तथा अभिनव भोज की उपाधि धारण की । इसने ‘यवनराज स्थापनचर्या’ की भी उपाधि धारण की ।
- कृष्णदेवराय के शासनकाल को तेलुगु साहित्य का ‘ क्लासिकी युग’ कहा जाता है । उसके दरबार में तेलुगु के आठ महान कवि रहते थे । कृष्णदेवराय ने स्वयं तेलुगु में ‘अमुक्तमाल्यदा ‘ की रचना की । कृष्णदेवराय ने नागलपुर नामक नये नगर की स्थापना की ।
- कृष्णदेवराय ने हजारा एवं विट्ठालस्वमी’ नामक मंदिर का निर्माण करवाया ।
- कृष्णदेवराय के शासनकाल में पुर्तगाली यात्री डॉमिगोस पायस तथा बरबोसा ने विजयनागर की यात्रा की थी ।
राक्षसी–तंगड़ी या तालिकोटा का युद्ध :
- राक्षसी-तंगड़ी या तालिकोटा का युद्ध 25 जनवरी 1565 ई० को हुआ जो विजयनगर के विनाश का प्रमुख कारण बना ।
- दक्षिण के मुस्लिम राज्यों ने विजयनगर के विरुद्ध एक महागठबंधन बनाया जिसमे अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा तथा बिदर शामिल था । इस संयुक्त मोर्चे का नेतृत्व बीजापुर का शासक अली आदिल शाह कर रहा था ।
- राक्षसी-तंगड़ी युद्ध में विजयनगर का नेतृत्व रामराय कर रहा था । इस युद्ध में विजयनगर बुरी तरह पराजित हुआ । इस युद्ध के बाद विजयनगर पेनुगोंडा तक सिमट कर रह गई ।